Anurag Pandey उग्र राष्ट्रवाद, आतंकवाद और मजबूत सरकार
Updated: Mar 18
सन 2014 के आम चुनावों में श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बी जे पी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफल हुई। बी जे पी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से ही अपनी पारम्परिक नीति "पहचान की राजनीति" का सहारा लिया और चुनाव या चुनावी लामबंदी के लिए प्रतीकों की राजनीति का बड़े आक्रामक तरीके से प्रयोग किया। इन प्रतीकों में गाय, मन्दिर-मस्जिद मुद्दा, देशद्रोह-देशप्रेम, राष्ट्रवाद, भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति की हत्या (मॉब लिंचिंग), मुस्लिम विरोधी विचार, सेना के शौर्य का राजनीतिक प्रयोग, नेहरु-गाँधी परिवार पर वाक् हमला, सभी विपक्षी दलों (मुख्यतः कांग्रेस) को पाकिस्तान परस्त घोषित करना, मुस्लिम्स पर अभद्र टिप्पणी इत्यादि को बाकी अन्य असली मुद्दों जैसे रोजगार, महंगाई, किसानो की समस्या इत्यादि पर तरजीह दी गई। बी जे पी वी. डी सावरकर द्वारा प्रतिपादित हिंदुत्व की अवधारणा को आत्मसात करती है। हिंदुत्व की विचारधारा अल्पसंख्यको को देश की धारा से बाहर रखने की पक्षधर है, हिंदुत्व की विचारधारा अन्य समुदायों से नफ़रत के सिद्धांत पर आधारित है, क्युकी अल्पसंख्यकों की पुन्य भूमि और पितृ भूमि भारत में ना होकर या तो मक्का मदीना में है या येरुशलम में है। ये विचारधारा हिन्दुओं को संगठित करना चाहती है और इनके सैनिकीकरण की पक्षधर है, मजेदार बात ये के हिंदुत्व की विचारधारा हिन्दू धर्म में व्याप्त जाति व्यवस्था को खत्म करने की बात नहीं करता बल्कि चार वर्ण के सिद्धांत को पूरी तरह अपनाता है। (सावरकर द्वारा अपनी पुस्तक Hindutva: Who is a Hindu में लिखित)। यहाँ ये बताना आवश्यक है के हिंदुत्व और हिंदूइस्म में अंतर है, हिंदुत्व एक विचारधारा है जिसे सावरकर ने अपनी पुस्तक Hindutva: Who is a Hindu में कलमबद्ध किया, वहीं दूसरी ओर हिंदूइस्म एक धार्मिक मान्यता है, एक धर्म दर्शन है, जो हिन्दुओं की आस्था, ईश्वर में उनकी श्रद्धा एवं विश्वास, वेद पुराण एवं अन्य हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में अटूट आस्था इत्यादि को दर्शाता है।
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